बुधवार, 12 मई 2010

प्रेम की पाती

ये प्रेम की पाती है,
दोस्ती की नहीं
क्योंकि दोस्ती तो एक राह का रिश्ता है
और इन राह का रिश्तों से
कहीं बड़े होते हैं
ढाई आखर प्रेम के।
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--------------सुशील जोशी

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